बाड़मेरराजस्थान

बाड़मेर सभापति व उपसभापति के विवाद का पटाक्षेप

बाड़मेर सभापति व उपसभापति के विवाद का पटाक्षेप

बाड़मेर। बीते सप्ताह भर से नगर परिषद में सभापति और उपसभापति के बीच चल रही खींचतान गुरुवार को उपसभापति द्वारा जिला कलेक्टर को सौंपा गए इस्तीफे के बाद खुलकर सामने आ गई। जिसके बाद मीडिया के सामने आए उपसभापति सुल्तान सिंह देवड़ा ने सभापति दिलीप माली पर गंभीर आरोप लगाते हुए घुटन महसूस होने की बात कही। जिसके बाद दिनभर चली चर्चा के बाद देर शाम बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ने दोनों नेताओं को एक साथ बिठाकर बातचीत के जरिए मामले का पटाक्षेप कर दिया।

सभापति पर लगाएं भ्र्ष्टाचार के आरोप

जिला कलेक्टर को इस्तीफा देने के बाद मीडिया के सामने आए उपसभापति सुल्तान सिंह देवड़ा ने सभापति दिलीप माली पर नगर परिषद में विकास कार्यों के बिल व पट्टे आवंटित करने में दलालों के मार्फत रिश्वत लेने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि उपसभापति होने के बावजूद बिना पैसे दिए उनके काम नहीं हो रहे थे इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती है जनता ने जिस विश्वास के साथ उन्हें जीता कर भेजा ऐसे में उनके काम नहीं हो पा रहे थे। ऐसे में उन्हें उपसभापति पद पर घुटन होने लगी थी आज इस्तीफा देकर उस घुटन से आजाद हो गए।

बाड़मेर विधायक ने मामले का किया पटाक्षेप

उप सभापति एवं सभापति के बीच बीते हफ्ते भर से विवाद की स्थिति बनी हुई थी इससे पूर्व बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ने अपने कार्यालय में दोनों नेताओं व नगर परिषद के पार्षदों को बिठाकर समुदाय की थी लेकिन दोनों ही नेताओं ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।

जिसके बाद गुरुवार सुबह अचानक उपसभापति ने जिला कलेक्टर को इस्तीफा सौंपकर दबाव बनाने की कोशिश की लेकिन शाम होते-होते बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ने एक बार फिर दोनों नेताओं को एक साथ बिठाकर सुलह कराने की कोशिश की दोनों नेताओं ने एक बार तो बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन व मीडिया के सामने सब कुछ ठीक होने की बात कही लेकिन दोनों ही नेताओं की नियत और नजर कहीं और ही नजर आ रही थी ऐसे में लगता नहीं कि यह विवाद आसानी से समझने वाला है।

बिना शर्त करीबियों के पट्टो फाइलें निकलना चाहते है उपसभापति

इस पूरे विवाद की असली कहानी की जड़ तक जाए तो बताया जा रहा है कि उपसभापति सुल्तान सिंह देवड़ा अपने करीबियों की कॉलोनियों के पट्टे जारी करवाने हेतु सभापति पर दबाव बना रहे थे लेकिन सभापति ने साफ मना कर दिया। इसके चलते दोनों नेताओं के बीच विवाद की स्थिति बन गई कुछ दिन पूर्व बाड़मेर विधायक द्वारा पार्षदों व दोनों नेताओं की बुलाई गई मीटिंग में उपसभापति द्वारा सभापति के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे।

लेकिन पार्षदों ने सभापति को क्लीन चिट दे दी और उपसभापति पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लग गए। जिसके बाद अलग-थलग पड़े उपसभापति ने गुरुवार सुबह जिला कलेक्टर को अपने पद से इस्तीफा सौंप दिया लेकिन नियमनुसार इस्तीफा सभापति को देना होता है ऐसे में जिला कलेक्टर ने उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया।

जिसके बाद बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ने दोनों नेताओं को साथ बिठाकर मामले में सुलह कराने की कोशिश की लेकिन दोनों नेताओं के हाव भाव देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि यह विवाद थमने वाला नहीं है ऐसे में देखने वाली बात होगी कि यह शांति कितने दिनों तक बनी रहती है।

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