
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों से पहले कांग्रेस पार्टी इस बार जैसी तैयारी कर रही है अगर पांच साल पहले ऐसी तैयारी की होती तो दो और राज्यों में कांग्रेस की सरकार बन जाती। लेकिन उस समय कांग्रेस ने देर से उठाए गए कदम के कारण दो राज्य गंवा दिए थे।
पांच साल पहले 2017 में 40 सदस्यों की गोवा विधानसभा में कांग्रेस को 17 सीटें मिली थीं और भाजपा सिर्फ 12 सीटों पर सिमट गई थी। भाजपा को नौ और कांग्रेस को चार विधायकों की जरूरत थी। पर पता नहीं, कांग्रेस की कमजोर रणनीति के कारण भाजपा ने सरकार बना ली और बाद में कांग्रेस के भी लगभग सारे विधायक पाला बदल कर भाजपा के साथ चले गए।
इसी तरह 60 विधायकों वाली मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस ने 28 सीटें जीती थीं और उसे सरकार बनाने के लिए सिर्फ तीन विधायकों की जरूरत थी। लेकिन कांग्रेस तीन विधायक नहीं जुटा पाई और 21 सीट जीतने वाली भाजपा ने 10 विधायक जुटा कर सरकार बना ली।
2017 के नतीजों के बाद जब लगा कि कांग्रेस को सरकार बनाने में दिक्कत होगी तब कांग्रेस आलाकमान ने तब अहमद पटेल और अन्य लोगों को मणिपुर भेजा। लेकिन तब तक देर हो गई थी। वे कुछ नहीं कर पाए। वे पीए संगमा के बेटे कोनरेड को समर्थन देने के लिए तैयार नहीं कर पाए।
उसके उलट इस बार कांग्रेस ने पहले से तैयारी शुरू कर दी है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने दोनों मुख्यमंत्रियों- अशोक गहलोत और भूपेश बघेल को दिल्ली बुला कर बात की। इस बार अपनी पूर्व की गलतियों को सुधारते हुए कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेशों की सरकारों के गठन की राजनीतिक जिम्मेदारी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंप दी | पांच राज्यों के चुनाव नतीजो के बाद अगर कहीं त्रिशंकु विधानसभा बनती है तो कैसे कांग्रेस के विधायकों को एकजुट रखना है और दूसरी पार्टियों से बातचीत करके कैसे सरकार बनानी है, यह मुख्यमंत्री गहलोत ही तय करेंगे |
मुख्यमंत्री गहलोत के परामर्श के बाद ही कांग्रेस आलाकमान ने कुछ नेताओं को पहले से ही गोवा और मणिपुर की छोटी पार्टियों से बात करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है |
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