
गहलोत को हटाकर सचिन को मुख्यमंत्री बनाना षडयंत्र
सत्य पारीक
” अजय माकन का ये बयान देना कि उनसे एक भी विधायक बात करना नहीं चाहता , डूब मरने की बात “
कांग्रेस के तीन शक्ति केन्द्र के बीच दिग्विजयसिंह कथक नृत्य करते हुए के सी वेणुगोपाल को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवाने की फिराक में लगे हैं ।
इसी कारण कांग्रेस के होने वाले भावी अध्यक्ष अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से त्याग पत्र देने के बाद नामांकन पत्र दाखिल करने के आदेश का माहौल उसी दिन तैयार करना शुरू कर दिया जिस दिन सचिन पायलट ने पदयात्रा में राहुल गांधी से भेंट की थी ।
तब राहुल ने सार्वजनिक बयान देकर एक व्यक्ति एक पद की वकालत की , उनके बयान के तत्काल बाद दिग्विजयसिंह ने कहना शुरू कर दिया कि पायलट को मुख्यमंत्री बनना चाहिए ।
सूत्रों का कहना है कि राहुल ने सचिन से कहा कि वे जयपुर जाकर पार्टी विधायकों का समर्थन जुटा कर उन्हें बताएं । सचिन ने जयपुर आकर 20-25 विधायकों से बात कर राहुल को फोन पर बता दिया कि विधायकों से बात हो गई उनका कहना है कि पार्टी आलाकमान जो निर्णय करेगी वह उन्हें मंजूर होगा ।
इस सन्देश के बाद तुरंत ही सोनिया गांधी ने राज्य के प्रभारी महासचिव अजय माकन के साथ मलिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेज कर एक लाईन का प्रस्ताव पारित कराने को कहा ताकि उसी आधार पर आलाकमान सचिन को मुख्यमंत्री थोप दे । इधर जब विधायकों को पता चला कि एक लाईन के प्रस्ताव की आड़ में राजनीतिक खेल अलग हो रहा है , जिसमें बागी होकर गहलोत सरकार गिराने वाले सचिन को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा ।
इस खेल को समझने के बाद सरकार बचाने वाले सभी 102 विधायकों ने तय कर लिया कि वो पर्यवेक्षक की बैठक में नहीं जाएंगे । अगर गये तो उनके हाथ कट जाएंगे , ये ही सोचकर सभी ने विधायक पद से त्यागपत्र देने का निर्णय लिया । जिसके बारे में मुख्यमंत्री व प्रदेशाध्यक्ष को पता ही नहीं था वे तो जैसलमेर गये हुए थे ।
सवाल ये उठता है कि गहलोत के नामांकन दाखिल करने से पहले उनकी जगंह मुख्यमंत्री दूसरा बनाने की क्या आवश्यकता थी ? के कामराज मुख्यमंत्री भी थे व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे । नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री रहते हुए ही प्रधानमंत्री चुने गये थे , बागी सचिन को किसने वायदा किया था कि उन्हें मुख्यमंत्री बनायेगे ?
जबकि सचिन पार्टी के बागी नम्बर एक हैं जिन्होंने 18 विधायकों को साथ लेकर भाजपा के सहयोग से कांग्रेस की सरकार गिराने की कोशिश की थी तब राहुल गांधी ने उनसे बात करने से इंकार कर दिया था । जब सचिन की बगावत को असफल करने वालों में शामिल प्रभारी महासचिव अविनाश पाण्डे के पद की बलि ली गई थी तब सचिन की वकालत प्रियंका गांधी ने की थी । सवाल उठता है कि क्या गहलोत मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं ?
अगर लड़ सकतें हैं तो इनके स्थान पर मुख्यमंत्री बनाने व नामांकन दाखिल करने से पहले त्यागपत्र दिलाने का षडयंत्र किसने रचा ? इस पूरे राजनीतिक घटनाओं की जांच होनी चाहिए क्योंकि ये पार्टी की पीठ में छुरा मारने की साजिश रची गई थी ?
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