
इसलिए राजस्थान में बनी ऐसी राजनीतिक परिस्थिति! ऐसे रची गई साजिश!
सूत्रों के हवाले से ख़बर………….
रिपोर्ट – रहमतुल्लाह खान
जयपुर। जब भी कोई मुख्यमंत्री बदलने वाला होता है तो विधायक उसका साथ छोड़ने लगते हैं परन्तु राजस्थान में ऐसा क्या हुआ कि सीएम बदलने की बातों के बीच विधायक सीएम के पक्ष में मजबूती से खड़े हुए। एक कांग्रेस नेता ने कहा वजह साफ है सचिन पायलट द्वारा पार्टी के खिलाफ की गई गद्दारी, उनकी बदला लेने की प्रवृत्ति, उनकी अराजकता व धमकाने का स्वभाव। पायलट 7 साल पीसीसी चीफ रहने के दौरान किसी पार्टी नेता ने सचिन पायलट के खिलाफ कभी कुछ नहीं बोला जबकि वो पार्टी नेतााओं को कहते थे कि मैं यहां सब्जी बेचने नहीं मुख्यमंत्री बनने आया हूं। मैं अभी 40 साल राजनीति करूंगा इसलिए तय करो कि मेरे साथ रहोगे या अशोक गहलोत और सीपी जोशी के साथ रहोगे ?
पायलट पर आरोप लगे हैं कि सरकार बनने के सालभर बाद ही सचिन पायलट विधायकों से कहते थे कि एक साल में कितना पैसा कमाया 2-3 लाख? इतने में काम चल जाएगा क्या? पार्टी से गद्दारी करने के लिए विधायकों को 30 करोड़ तक के ऑफर दिए परन्तु 102 विधायक इन प्रलोभनों को ठुकराकर कांग्रेस पार्टी और सोनिया गांधी के प्रति वफादार रहे।
राजीव अरोड़ा, धर्मेन्द्र राठौड़ के घर आईटी, सीएम के भाई के घर ईडी के छापे डलवाए. प्रताप सिंह खाचरियावास से ईडी ने लम्बी पूछताछ की इसके पीछे क्या सचिन पायलट के हाथ है यह सवाल एक कांग्रेस नेता का है !
मानेसर जाकर पायलट समर्थक विधायक उसी रिसोर्ट में रुके जहां मध्य प्रदेश के विधायक रुके थे. उन्हीं लोगों ने इन विधायकों ने अगवानी की पायलट एवं 4 विधायक अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान और जफर इस्लाम से मिले यह खबरें अखबारों की सुर्खियां बनी थी।
जब सोनिया गांधी के निर्देश पर पायलट सहित 19 विधायकों को पार्टी में वापस लिया गया तो 102 विधायकों ने मिलकर एक स्वर में आक्रामक अंदाज में इसका विरोध किया। इस आक्रोश के कारण इन विधायकों ने बैठक के दौरान केन्द्रीय पर्यवेक्षक अजय माकन, रणदीव सुरजेवाला एवं जनरल सैकेट्री इंचार्ज अविनाश पांडे को बोलने तक नहीं दिया। तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी विधायकों को भरोसा दिलाया कि मैं आपके हितों की रक्षा करूंगा और सदैव आपके अभिभावक की तरह रहूंगा।
लेकिन आज भी इन्होंने मानेसर प्रकरण के दौरान सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में विधानसभा स्पीकर के खिलाफ लगाई याचिका को वापस नहीं लिया है।
सूत्रों के मुताबिक सितंबर 2021 में जयपुर जिला प्रमुख चुनाव में पायलट समर्थक वेदप्रकाश सोलंकी के विधानसभा क्षेत्र के दो जिला पार्षदों ने भाजपा को वोट दिया और कांग्रेस को हराया। चुनाव से एक दिन पूर्व रात में वेदप्रकाश सोलंकी और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया की मुलाकात हुई थी। पार्टी से गद्दारी के इस प्रकरण की पूरी रिपोर्ट राजस्थान के AICC प्रभारी अजय माकन व संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को दी गई परन्तु आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई जबकि तब दोनों महासचिवों ने इस विधायक को पार्टी से निष्काषित करने की बात कही थी। विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने सार्वजनिक तौर पर बयान दिया कि मेरा नेता सचिन पायलट है, मेरा कांग्रेस पार्टी से कोई लेना देना नहीं है।
विधायक इन्द्राज गुर्जर ने सार्वजनिक तौर पर मानेसर ना जाने वाले गुर्जर विधायकों का संदर्भ देते हुए कहा कि जिन्होंने समाज से गद्दारी की है, उन्हें सबक सिखाया जाएगा, इसके कुछ दिन बाद ही इनके समर्थकों ने शकुन्तला रावत और अशोक चान्दना के ऊपर पुष्कर में आयोजित कर्नल बैसला के अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में जूते फेंके गए। जूते फेंकने वाले लोग सचिन पायलट जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे, जूते फेंके जाने के बाद दोनों मंत्रियों को पुलिस एस्कॉर्ट के द्वारा मंच से उतारा गया। आश्चर्यजनक यह है कि सचिन पायलट ने इस घटना की निंदा तक नहीं की। उनके समर्थकों ने इस घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर खुशी जाहिर की।
यहां सोचने वाली बात ये है कि मानेसर प्रकरण के दौरान कांग्रेस के 8 गुर्जर विधायकों में से 5 गुर्जर विधायक अशोक गहलोत के साथ रहे क्योंकि उनकी सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी में आस्था थी।
एक नेता के अनुसार पिछले दिनों सचिन पायलट द्वारा प्रत्येक विधायक को फोन कर कहा गया कि जल्दी ही CLP मीटिंग होगी, ये तब कहा गया जबकि मुख्यमंत्री, मुख्य सचेतक, प्रदेशाध्यक्ष या किसी भी पार्टी पदाधिकारी को CLP मीटिंग का कोई अंदाजा ही नहीं था। एक मंत्री को कहा कि आपकी गाड़ी तो बस 7 दिन के लिए बची है तो एक मुख्यमंत्री सलाहकार से कहा गया कि आपको तो एडवाइजर बनाकर रखेंगे।
इसका मतलब सीधा हैं पूरा मामला प्री प्लान था
सूत्रों के मुताबिक पिछले 15-20 दिनों में सचिन पायलट द्वारा लोगों को व्यक्तिगत या अन्य माध्यमों से ऐसे ही मैसेज पहुंचाए गए जिसके कारण विधायकों में बदला लिए जाने का डर बैठ गया। पायलट के समर्थकों ने राजस्थान में नए युग की शुरुआत जैसे पोस्टर लगाए और राजस्थान सरकार के खिलाफ नकारात्मक बयान दिए। इसी दौरान सचिन पायलट ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा परन्तु मुलाकात नहीं हुई।
फिर आनन-फानन में CLP मीटिंग बुलाने के कारण विधायकों में शंकाएं पैदा हुईं और उन्होंने भावनात्मक तौर पर रिएक्ट किया। जो 102 विधायक 34 दिन तक सोनिया गांधी के विश्वास में सरकार बचाने के लिए लामबंद रहे एवं जिन्होंने 30-30 करोड़ रुपये के ऑफर ठुकरा दिए, उन्हें ऐसा लगा कि कांग्रेस अध्यक्ष इन पार्टी के वफादार 102 विधायकों में से जिन्हें चाहें उन्हें मुख्यमंत्री बना दें। पिछले करीब 10 सालों का सचिन पायलट के क्रियाकलापों खिलाफ विधायकों और कांग्रेस नेताओं का जो फ्रस्ट्रेशन था वो एक साथ फूटा।
विधायकों में मुख्यमंत्री के प्रति भी असंतोष था कि 34 दिनों के बाद इनके वापस लौटने पर उन्होंने हमेशा अभिभावक बनकर रहने की बात कही परन्तु अब दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर जा रहे हैं एवं पार्टी से गद्दारी करने वाला यह व्यक्ति मुख्यमंत्री बनने जा रहा है जो उनसे बदला लेने की भावना भी रखता हो।
नोट:- यह खबर विभिन्न कांग्रेस नेताओं और विभिन्न सूत्रों से जानकारी एकत्रित कर बनाई गई है।
Previous Post : भाजपा से मिलकर कांग्रेस को कमजोर कर रहे पायलट!
For More Updates Visit Our Facebook Page
Follow us on Instagram | Also Visit Our YouTube Channel